I.S.R.O ने हाल हींमे घोषणा की है की भारत का पहला स्पेस मिशन “गगनयान” शफलता पूर्वक लोंच होने के बाद ३-४ साल में अपना ख़ुद का स्पेस स्टेशन की स्थापना करेंगे पर आप लोग जानते हो की स्पेस स्टेशन होता क्या है ओर वह किसिभी देश के लिए कितना महत्वपुन होता है?
तो चलए जानते है आख़िर स्पेस स्टेशन क्यूँ स्थापित किया जाते है।
सबसे पहले हमें ये जानना बहुत जतरी हे की आख़िर स्पेस स्टेशन बनाने की ज़रूर क्यूँ पड़ी। वेसे मुख्यतवे तो अनेक कारण है जेसेकी तूरिसम, रीसर्च , एक्सप्लोरेशन , इंडस्ट्रय, पर जो सबसे पहला स्पेस स्टेशन स्थापित किया गया था ताकि किसिभी मानव शरीर पर लम्बे समय तक वेट्लेस्नेस का क्या अशर परता है ऊसका विश्सलेशण करने के लिए सर्व प्रथम स्पेस स्टेशन की स्थापना की गई थी। वेट्लेस्नेस सेंटर ओफ़ वेट के ऐब्सेंट को कहते है यानी कि ऐशि परिस्थिति जहाँ पर किसी भी चीज़ पर गुरुतवाकर्सनबल का असर नहीं होता। जहाँ मानव शरीर को अपना वज़न महसूस नहीं होता ओर इसीलिए जब अवकास यात्री जब पृथ्वी से किसी अलग ग्रह पर जाए जहा गुरुत्वकर्सन पृथ्वी की तुलना में बेहद कम होगी तो अवकासयात्री के शरीर पर क्या अशर ओर बदलाव देखने को मिल सकता है मुख्यतवे यही चीज़ का विश्लेषण के लिए स्पेस स्टेशन की स्थापना की गयी थी जो पृथ्वी के गुरुत्वकर्सन के अनुसार पृथ्वी से विश्लेसन करना मुनकिं नहीं था। ओर अंतरिक्षमें सब से पहले खड़का स्पेस स्टेशन स्थापित करने वाला देश रस्सियाँ था जब वह सोवियत यून्यन से जुदा हुवा था। रस्सियाँ सबसे पहले सल्यूट-१ नाम के स्पेस स्टेशन को १९७१ में ऑर्बिट में प्लेस किया था। सल्यूट-१ मुख्यतवे सोयूज़ नाम कि स्पेसक्राफ़्ट हिस्सा तज उको मुख्यतवे तीन भागो में बता गया था डाइनिंग एंड रेफ़्रिजरेटर एरीअ , फ़ूड एंड वोटर स्टॉरिज ,टॉलेट, एक्सर्सायज़ एरीअ, कंट्रोल स्टेशन साइयंटिफ़िक इक्विप्मेंट मोजुड थे ओर सेल्यूट-१ में पहली बार सफलता पूर्वक यात्रा करने वाले क्रू स्प्यूज-११ था। हालाँकि जब सोयूज़-११ का क्रू पृथ्वी की तरफ़ पुनः वापिस आरहथा तब उनके केप्सूल डिप्रेशरराइज़ होने के कारण वह दुर्घटना ग्रस्त हुवा था।
सोवीयत यूनीयोंन उसके बाद एक ओर स्पेस स्टेशन लोंच किया जिसका नाम सल्यूट-२ था हालाँकि वह ऑर्बिट में पोहोच नेमे अशफल हुवथा ओर उसके बाद सल्यूट-३ से ५ तक स्पेस स्टेशन लौनच किए गए। ओर जो यह सल्यूट प्रोग्राम आख़री स्पेस स्टेशन था जिसका नाम सल्यूट -७ था उसे सन १९४२ में लौनच किया गयाथा जिसमें ११ लोगोक क्रू था ओर वह सभी जो क़रीब ८०० दिन तक वह रहकर सफलता पूर्वक आए थे।यदि रूस के बाद कोई देश हे तो वो अमेरिका हे जिसने सन १९७३ में स्काइलैब नाम के स्पेस स्टेशन को लौनच किया था। ओर उसके बाद रशिया ने अपना में स्टेशन को लौनच किया सन १९८६ में उस समय की रीसर्च के मुताबिक़ रशिया का मेंस्टेशन स्पेसमें एकलोट पेरकनेंट होम की तरह पयगाय था। पर आगे जाए रशिया को यह ऐहस हवा की वह अपने स्पेस स्टेशन को लम्बे समय तक मेंटें करके नहीं रखा जा सकता है। ओर उसके बाद ना.सा ओर रशिया डोनो नेही अपने – अपने स्पेस स्टेशन वापस लेनेक फ़ेसला लिया ओर संयुक्त रूपसे मिलकर (ISS) इंटर्नैशनल स्पेस स्टेशन की स्थापना की गयी। (iss) को सुरुआत मई १४ अलग अलग देश कि सहयोग से विक्षया जा रहा था वो आगे जाके सन १९९३ तक (iss) में १६ देश समिल हो चुके थे। ओर १९९८ में (iss) की असेम्ब्ली को शुरू किया गया पर ३१ ऑक्टोबर २००० को (iss) के पहले क्रू को लौनच किया गया। वह रशिया के साथ ओर १४ मार्च २०१९ तक कुल १८ देशों कि २३६ अंतरिक्ष यात्री (iss) के ध्वरा स्पेस स्टेशन की यात्रा सफलता फूर्वक कर चुके है।हम बात करते है भारत की तो जो भारत की ओर से स्पेस स्टेशन लौनच किया जाएगा वह पृथ्वी के उपर क़रीब ५०० k.m की दूरी पर स्थापित किया जाएगा जिसका वज़न २० टन तक हो सकता है। ओर ईस स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री ओकी क़रीब १५ दिन तक रहनेकि कपैसिटी होगी।
भारत अपने पहले मानव स्पेस मिशन “गगनयान” २०२१,२०२२ तक लौनच करने कि लिए तैयार है ओर इशिलियर भरत कोभि गुर्तवकार्शन के विसलेसन कि लिए ज़रूर हे इसलिए ISRO ने अपने स्पेस स्टेशन स्थापना करने की योग्यता बताई है । ओर हम ईश्वर से प्रार्थना करते हे जेसे ISRO रोकेट साइयन्स में जेसे पूरे विस्व भर में उनकी उपलब्धि स्थापित करके विश्व में भारत का नाम ऊँचा किया है वेसहि स्पेस स्टेशन के एक ओर क़दम को वह सफलतापूर्वक प्राप्त करेगा ओर अनेक नई खोज करके विश्व को वंचित कराएगा जोकि पृथ्वी पे रहकर मुनकिं नहि है।
આ ઉપર આપેલા ટોપિક મા ઘનુ બધુ જાણવા જેવુ હતુ
અને હુ ટિમ (befojji) ની સાથે છુ જે આપને આવી જાણવા
જેવી બાબતો પુરી પાડે છે.
જય હિન્દ જયભારત..
Jay Hind